देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
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धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल shiv chalisa lyricsl पाहीं॥
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ Shiv chaisa जय शिव…॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर more info ललित अनुपा॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
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